खुशीओंका खजाना Khushi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

खुशीओंका खजाना Khushi

खुशीओंका खजाना

वो पल जरूर आएगी
खुशीओंका खजाना लाएगी
मेरे सपने जरूर सच होंगे
वो सब मेरे करीब होंगे।

हम बने थे हमसफ़र
जाना था बहुत दूर
पता नहीं था कहाँ होगा सवेरा?
रातभर चलता कहा काफिला हमारा।

हम चलते गए आशा बनाए
किसीको निराशा ना जताए
मन में बुलंदी थी कुछ पाने की
बस चाह भी थी जीने की।

मिट भी सकते है
पहुँच भी सकते है
दोनों का होना संभव था
जिंदगी में एक कठिन चढ़ाव था।

बहुत खो चुके है
पर अभी नहीं खोना है
पाना हमारी किस्मत में है
किंमत भले ही कोई भी हो।

बस अब नहीं भुलाना
सिर्फ इरादा है पाना
वो मिलेंगे तो जरूर
हमे भी है चीज़ का गुरुर।

खुशीओंका खजाना Khushi
Sunday, May 7, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcome balika sengupta Like

0 0 Reply

welcome aman pandey Like · Reply · 1 · Just now

0 0 Reply

welcome suleiman shekh LikeShow More Reactions · Reply · Just now

0 0 Reply

WELCOME GAYARTI PRAKASH Like · Reply · 1 · Just now

0 0 Reply

बस अब नहीं भुलाना सिर्फ इरादा है पाना वो मिलेंगे तो जरूर हमे भी है चीज़ का गुरुर।

0 0 Reply
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
Close
Error Success