ख्याल रखेगी
शुक्रवार, १ फरवरी २०१९
यही मौसम है और यही नजारा
हमनेदेखा है उसका अंदाज सुनहरा
कभी तो बसंत खिलउठती है
और कभी पतझड़ आ जाती है।
बारिश का तो मिजाज अलग से है
चारो और पानी ही पानी हो जाता है
नदी और नाले छलका जाते है
मेढक और कोयल आवाज करने लगते है।
कभी नहीं देखा ऐसा प्रकृत का मेल
सब चीजों की कर देते है रेलमछेल
पर कभी पासा भी पलट देती है
जब हम उसके विपरीत काम करते है।
कभी तो होजाती है सूखे की मार
कभी तो आ जाती है नदी में बाढ़
कभी आकाश से हो जाती प्रलयगंगा
तो कभी गिर जाती है प्रलयकारी उल्का।
प्रकृति से मेल रखो तो अच्छा
उसके पास भण्डार है खासा
जो हमेशा महेरबान ही रहेगी
और हम सब का ख्याल रखेगी।
हसमुख मेहता
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प्रकृति से मेल रखो तो अच्छा उसके पास भण्डार है खासा जो हमेशा महेरबान ही रहेगी और हम सब का ख्याल रखेगी। हसमुख मेहता