किसानो की आत्महत्या
किसानो की आत्महत्या
सुनकर दिल कांपा
मैंने सभी मापदण्डोंको मापा
फिर खो गया मेरा आपा।
खेती है बारिश आधारित
आमद नहीं रहती अविरत
किसान कर्ज तो ले लेते है
पर चुका नहीं पाते है।
कई किसान कर्जा शादी ब्याह पर बर्बाद कर देते है
ना करे भगवान।यदि फसल बर्बाद हुई तो आत्महत्या कर देते है
पहले शाहूकार ऋणदेते थे
और जबरन वसूली कर देते थे।
अब सरकात बैंको को ज़िंदा रखना है तो कर्ज वसूली तो होगी ही
कई किसान बैंको से पैसा लेकर ज्यादा सूद पर दे देते है
अब ऐसा ही चलता रहेगा तो पैसा डूबना ही है
सामान्य नागरिकऐसी परिस्थितियां देखकर स्तब्ध रहता है।
किसान भी नगद पाक की और ज्यादा ध्यान देते है
गरीब को प्याज और आलू भी नसीब नहीं होते देते है
क्यों किसान कुछ चीज़े काम दामपर उपलब्ध नहीं करवाते?
क्यों सब कुछ वो ऐसे ही पाना चाहते है?
कोई लोग यूँही नहीं मरते
कुदरत को नहीं कोसते
खतरा सब जगह पर है
पर मैदान छोड़कर कोई नहीं मरता है।
किसान को कर्जा उसकी हैसियत देखकर देना चाहिए
कर्जा लेने वक्त अपनी काबिलियत पर शक नहीं होना चाहिए
इस चीज़ उद्योगपतियों पर भी लागू होती है
उनके लिए कभी भी अलग से व्यवस्था नहीं होती है।
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welcoem vasant deshani Like · Reply · 1 · Just now Manage
welcome soni mukesh Like · Reply · 1 · 2 mins Manage
welcome jaideep sinh rathore Like · Reply · 1 · Just now
welcome balmukund prasad singh Like · Reply · 1 · Just now
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इस चीज़ उद्योगपतियों पर भी लागू होती है उनके लिए कभी भी अलग से व्यवस्था नहीं होती है।