कितने सारे रास्ते
कितने सारे रस्ते है
मृत्यु के लिए कितने सस्ते है!
कुए में कूद जाओ तो मौत
फंदे में लटकने के लिए कहाँ ढूंढना है स्रोत?
लोग मोत को गले लगा लेते है
प्रेमभग्न हुए तो नदी में कूद जाते है।
परीक्षा में फेल हुए तो जहर खा लेते है
ज्यादा कर्ज हो गया तो पटरी पे सो जाते है।
जीना उतना सरल नहीं
ढूंढो हल सही
जिन्दगी कितनी हसीन है
धरती पर ज़िंदा विध्यमान है।
इन सबकी जिम्मेवार माँ कहाँ है?
उसकी चरणों में तो हमारा जहाँ है
में उसकी दुहाई लेता हूँ
उसको ना देखूं तो थोड़ा रो लेता हूँ।
कौन लाएगा आपको धरतीपर?
सुहाने सपने सजाने अलौकिक आनंदघर
यही तो है हमारे जीवन का मकसद
माँ के बिना कौन दे आशीर्वाद?
माँ तेरे ही है उपकार
में कैसे व्यक्त करू आभार!
तू ही है मेरी जीवनी और तुहि है आकाश
मेरे पास नहीं सोचने का अवकाश।
Navin Kumar Upadhyay Navin Kumar Upadhyay बहुत सुँदर Like Like Love Haha
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माँ के बिना कौन दे आशीर्वाद? माँ तेरे ही है उपकार में कैसे व्यक्त करू आभार! तू ही है मेरी जीवनी और तुहि है आकाश मेरे पास नहीं सोचने का अवकाश।