कितने सारे रास्ते Kitne Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कितने सारे रास्ते Kitne

कितने सारे रास्ते

कितने सारे रस्ते है
मृत्यु के लिए कितने सस्ते है!
कुए में कूद जाओ तो मौत
फंदे में लटकने के लिए कहाँ ढूंढना है स्रोत?

लोग मोत को गले लगा लेते है
प्रेमभग्न हुए तो नदी में कूद जाते है।
परीक्षा में फेल हुए तो जहर खा लेते है
ज्यादा कर्ज हो गया तो पटरी पे सो जाते है।

जीना उतना सरल नहीं
ढूंढो हल सही
जिन्दगी कितनी हसीन है
धरती पर ज़िंदा विध्यमान है।

इन सबकी जिम्मेवार माँ कहाँ है?
उसकी चरणों में तो हमारा जहाँ है
में उसकी दुहाई लेता हूँ
उसको ना देखूं तो थोड़ा रो लेता हूँ।

कौन लाएगा आपको धरतीपर?
सुहाने सपने सजाने अलौकिक आनंदघर
यही तो है हमारे जीवन का मकसद
माँ के बिना कौन दे आशीर्वाद?

माँ तेरे ही है उपकार
में कैसे व्यक्त करू आभार!
तू ही है मेरी जीवनी और तुहि है आकाश
मेरे पास नहीं सोचने का अवकाश।

कितने सारे रास्ते  Kitne
Friday, July 7, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

माँ के बिना कौन दे आशीर्वाद? माँ तेरे ही है उपकार में कैसे व्यक्त करू आभार! तू ही है मेरी जीवनी और तुहि है आकाश मेरे पास नहीं सोचने का अवकाश।

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welcoem mahesh sagar Like · Reply · 1 · Just now

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Kumar Hindu Poet ke sugandh hi sir aap Like

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Navin Kumar Upadhyay Navin Kumar Upadhyay बहुत सुँदर Like Like Love Haha

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manisha mehta Like · Reply · 1 · 2 mins · Edited

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welcome shalibhadra mehta Like

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welcome manoj v doshi Like · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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