कोमल दिल... Komal Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

कोमल दिल... Komal

Rating: 5.0

कोमल दिल
Sunday, July 1,2018
8: 31 PM

भावभरा कोमल दिल था
मने थोड़ी सी सिहरन भी पैदा करता था
कोई मिल जाए इस सफर में, उसकी भी कल्पना करता था
सपनेसुहाने होते थेफिर भी, किसी के आने का इंतजार करता था।

फूल सा दिल थोड़ी सी गलती कर बैठा
रास्ता पवित्र था लेकिन था टेढ़ा
उनके दिल की हमें भनक नहीं लगी थी
मन ही मन उनको चाहने लगी थी।

जमीं आसमान से बात करने लगी
मनोमन मिलन की कामना होने लगी
"कैसा होगा ये मिलन "उसका आभास देने लगा
जो भी होगा, अच्छा ही होगा इसका भी अनुभव होने लगा।

पर ये क्या हुआ?
फूल अचानक क्यों मुरझाने लगा!
प्रेम में ये कैसी आंधी आ गई
सब सपने चकनाचूर कर गई।

दिल धीरे से कराह उठा
मेरे सारे सपने ले उड़ा
मन में एक बवंडर ने जनम ले लिया
प्यार के नाम एक मंसूबा बाना लिया

हसमुख अमथालाल मेहता

कोमल दिल... Komal
COMMENTS OF THE POEM

Ashok Kumar Devgan Thanks good night 1 Manage LikeShow more reactions · Reply · 1h

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welcome Dhamsi Moka Panchal Friend Friends

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welcome Ujjal Saikia 9 mutual friends 1 Manage Like · Reply · 1m

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दिल धीरे से कराह उठा मेरे सारे सपने ले उड़ा मन में एक बवंडर ने जनम ले लिया प्यार के नाम एक मंसूबा बाना लिया हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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