कोशीश वाहवाही की करते है
ना माना उसने मेरा कहना
में चाहता था बस मर जाना
पर क्या आया दिल में की में जी गया
जीवन में फिर नशा ही नशा छा गया।
वो कहती गयी, में सुनता गया
बहारो ने भी है केहर ढाया
उपर से है किस्मत का साया
कुदरत का ये खेल मुझे बहुत ही भाया।
माया के नखरे बहुत होते है
सबके जेहन में बहुत सारे सवाल होते है
उनका हल ढूंढना सब के बस की बात नहीं होती है
'हर काम के पीछे एक नाम'की तकती होती है।
हर हाल में है मुझे उसे पाना
नहीं तो हो जायेगी किरकिरी ओर अफ़साना
कुदरत की शक्ति को है मैंने माना
में फिर भी नहीं मानता की हो गया है फ़साना।
वो मेरी शक्ति का प्रदर्शन है
उसमे एक प्रतिकूल हवा का दर्शन है
वो कभी हंसके भी नकारती नहीं है
मेरी हर बात को दिल से स्वीकारती रही है।
मुझे साफ़ दिल से ये बात कहनी चाहिए
नारी का चयन भी खुले दिल से होना चाहिए
माँ बाप की और से किसी अनचाही मांग नहीं की जानी चाहिए
हर तरह से ख़ुशी का माहोल और शादी कि रोशनी होनी चाहिए
मुझे चाहिए था उसका हाथ
सोचा है चलेंगे साथ साथ
हर जीवन में एक बदलाव जरुरी है
जैसे नदी में पानी का बहाव उतना ही जरुरी है
कहने को तो सभी यह बात करते है
पर दहेज़ और गहनो की मांग करते है
गरीब माँ बाप अपनी इज्जत कि बहुत ही परवाह करते है
मज़बूरी में भी कोशीश वाहवाही की करते है
Sam Bajwa likes this. Hasmukh Mehta welcome 3 secs · Unlike · 1
Vikramjeet Singh likes this. Hasmukh Mehta welcome 14 secs · Unlike · 1
welcomevagnesh rawal n ranjit ahir 2 secs · Unlike · 1
Balkishan Bhardwaj likes this. Hasmukh Mehta welcome 2 secs · Unlike · 1
Hans Peripherals likes this. Hasmukh Mehta welcome 2 secs · Unlike · 1
Sanjay Kurmi and Aakash Verma like this. Hasmukh Mehta WELCOME 2 secs · Unlike · 1
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem
a welcome sanjay kurmi 2 secs · Unlike · 1