करते रहो वंदना Krate Raho Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

करते रहो वंदना Krate Raho

करते रहो वंदना

Sunday, March 11,2018
6: 57 AM

करते रहो वंदना

इश्क़ ही कोई अजमाइश नहीं
ना मिली तो कोई शिकायत नहीं
शिकवा करना कोई इंसानियत नहीं
उसका भला चाहो, ऐसी कोई बंदगी नहीं।

प्रभु का ये वरदान है
तपस्या के बाद मिला दान है
कोई किस्मतवाले को ही नसीब होता है
बसनसीब ही उसको खो देता है।

कहते है, जिसपर हो जाए प्रभु मेहरबान
उसकी बढ़ जाती है आन, बान और शान
उसकी कश्ती को समाल लेते है भगवान्
बस आप ना करो गुस्ताखी और अभिमान।

प्रेम का करो सन्मान
आपको होगा आत्मज्ञान
प्रेम माँगता है बलिदान
मिल जाए तो आप जो हाय नसीबवान।

करो मन से ऐसी वांछना
कभी ना रखो ऐसी अभ्यर्थना
मिल जाय तो ना करो छलना
उसके सुख के लिए करते रहो वंदना।

करते रहो वंदना Krate Raho
Saturday, March 10, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 10 March 2018

welcome rajesh donga Manage Like · Reply · 1m · Edited

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Mehta Hasmukh Amathalal 10 March 2018

करो मन से ऐसी वांछना कभी ना रखो ऐसी अभ्यर्थना मिल जाय तो ना करो छलना उसके सुख के लिए करते रहो वंदना।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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