कुदरत का कोप
शुक्रवार, २८ दिसंबर २०१८
कुदरत कोपायमान हो रही है
चारोओर हाहाकार मचा हुआ है
अभी अभी ही बारिश के मौसम से उभरे है
ओर अब हम ठण्ड के मारे मर रहे है।
पुरे उत्तर भारत मे ठंड का कहर बरसा रही है
कई जगहपर शून्य से नीची पारा लुढ़का हुआ है
मानो मानवजात को खत्म करनेपर तुली हुई है
ऐसी कुदरत की मार का अनुभव कभी नहीं हुआ है।
लोगों को जीवन चलाना मुश्किल हो गया है
काश्मीर में तो दाल झील बर्फ हो गई है
पर सैलानिओ के मझे हो रहे है
बर्फ़बारी पर मानो उन्हें जन्नत का नजारा दिख रहा है।
ठण्ड तो हर मौसम में होती है
पर इस बार कुछ ज्यादा ही है
गरीब का जीना दूभर हो रहा है
जैसे मौत से सामना हो गया है।
अभी तो काफी समय बाकी है
कई लोग ठण्ड के मारे मर जाएंगे
कई लोग घरों में बंध रहना पसंद करेंगे
"कैसे गुजारा होगा"उसकी चिंता में डुबे रहेंगे
हसमुख अमथालाल मेहता
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अभी तो काफी समय बाकी है कई लोग ठण्ड के मारे मर जाएंगे कई लोग घरों में बंध रहना पसंद करेंगे कैसे गुजारा होगाउसकी चिंता में डुबे रहेंगे हसमुख अमथालाल मेहता