लम्बी दौड़... Lambi Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

लम्बी दौड़... Lambi

लम्बी दौड़
सोमवार, १० सितम्बर २०१८

सब चले आए
बाराती बने
दुल्हन को लेने
बैगा की शादी में अब्दुल्ले दीवाने।

माहौल था कुदरती
नए लिबास में बाराती
नाचती कूदती टोलिया
सब के पाँव थिरकिया।

दुल्हन को कहेंगे
घर जल्दी कब आओगे
हम सब बेकरार है
आपका ही इंतजार है।

जीवन का है ये अजूबा
पहले कहलाती थी मेहबूबा
आज लग्न के फेरे में बने समधी
एक पतली सी डोर से बंधी नैया।

जीवन का नया रूप
बीते जिंदगी सुखरूप
प्रभु का ही है स्वरूप
बस रहे सब जागरूक

एक नया मोड़
रखो सपने झंझोड़
आप दोनों की जोड़ी है बेजोड़
लगानी है जीवन में लंबी दौड़।

हसमुख अमथालाल मेहता

लम्बी दौड़... Lambi
Monday, September 10, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 10 September 2018

एक नया मोड़ रखो सपने झंझोड़ आप दोनों की जोड़ी है बेजोड़ लगानी है जीवन में लंबी दौड़। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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