Love Poem by Pranav Tripathi

Love

हमारी है तुम्हारी है सभी की है यही दुनिया।
गरीबों की अमीरों की बसती हैं यही रनिया।
जरा सा गौर कर तो देख यही तेरी ही है गलियां।।
क्या धरती क्या अम्बर है ये तेरी ही हैं कलिया।।
इतनी घूर मत तू देख किसी की वो बहनिया है।
मचा क्यों अब शोर इतना अब क्या कोई फिरंगिया आया है।
साथ में नकली नोटों की बंडलि भर भर के लाया है।
हमारी है तुम्हारी है सभी की है यही दुनिया।

कल को तुम बिछड़ जाओ हमें तुम याद कर लेना।
गदहों में ही सही तुम मुझ नाचीज का दीदार कर लेना।
भूल गर जाओगे तुम मुझको समझ लूँगा बस है नहीं दुनिया।।
क्योंकि दिन नहीं गुजरा बिन दीदार के यूँ तेरा।।
मेरी मोह्हबत का है असली रुसवा तुंही पगले।।
ना धर्म ना है जाती जो हम तुम को यूँ बाँधे।।

तेरी रुस्वाई में मुझको मिलने से रोक सके।
मेरी जन्नत है तुझमे ही तेरी में ही है ये दुनिया।।
न मेरी है न तेरी है क्योंकि ये जाति है बनिया।।
बरसते बादलों की बूंदों से लिपटी जा रही है यूँ।
अपने जिस्म की खुसबू से सुगन्धित कर रही है
उफ़।
जाओगी किधर से तुम जरा सा बोल दो ना तुम।
मर गए गर फिर भी आत्मा बन हम यूँ आवेंगे।।
क्योंकि जो है यह वही पयार है यूँ कहलाती।

क्यों की मैं वो नहीं जो सुन्दर का ही प्यार बखान करे।।
सुन्दर वो ही है मेरा मेरे आँखों का तारा है।।
मेरा प्यार है वही क्योंकी वह महसूस होता है।।
प्यार अगर सच है तोह वो इंसान नहीं भगवान ही होगा।
प्यार से दुरी ही है असल सुख अगर तुम देखना चाहो।।
दुःख में ही तुम सुख की रोशनी भर यूँ ही देते हो।
हो इंसानियत का पैगाम तुम कर दे ही जाते हो।
मिला मौका तोह मैं बोला वर्ना बहुत व्यस्त है दुनिया।।
है मंजिल तेरी ऊपर क्यों देख इठला रहा बौना।।
मेरी है तेरी है सभी की है यही दुनिया।।।

Wednesday, March 29, 2017
Topic(s) of this poem: love and dreams
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