प्रभु को बतानाm Prabhu Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्रभु को बतानाm Prabhu

प्रभु को बताना

शरीर ही मरता आँखों के सामने
आत्मा नहीं मरता और रुकता कहने
बस उसे तो जाना है
प्राण को जमा करवाना है।

रही होगी जीवन की घटमाळ
मेरे पर चढ़ गया एक आळ
में कुछ ना कर सका
वो कर गयी भला सबका।

आहें ही ही बची
जिंदगी मानो खतम हो गयी समुची
पर में भी नहीं इतना लालची
भले ही जिंदगी लगे खींची खींची।

प्रभु का जीवंत संदेश है
सब को यहाँ से खुशीखुशी जाना है
कोई पहले तो कोई बादमे
हमने तैयार रखनी है अपनी कदमे।

वो तो हंसती रही
अपने अंतर्मन से कह रही
' आप रोओगे मेरे चले जाने के बाद '
आती रहेगी हरदम याद।

जीवन तो एक कस्तूरी है
आदमी की मज़बूरी है
जीवन को तो महकाना है
सही मायनो में जी कर प्रभु को बताना है।

प्रभु को बतानाm Prabhu
Tuesday, October 3, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 04 October 2017

1 Aasha Sharma Comments Aasha Sharma Aasha Sharma Nice and true Like · Reply · 1 · 3 hrs

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Mehta Hasmukh Amathalal 03 October 2017

जीवन को तो महकाना है सही मायनो में जी कर प्रभु को बताना है।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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