माफ़ी काफी नहीं
जिंदगी के तारणहार से नाइंसाफी है
सुबह उठकर माफ़ी मांग लेना काफी नहीं है
जिंदगी तो दिया है जीने के लिए
अपनों को सीने से लगाने के लिए।
जीना आपको नहीं आता
डर आपको हरदम सताता
हरेक को आप शक की नजरों से देखते
फिर उनसे आप प्रेम की अपेक्षा रखते?
आपका नजरिया गलत है
प्रेम एक दिया हुआ वरदान है
आपको मिला अनुदान है
आपको आगे चलने का एक खुल्ला मैदान है।
क्या है तेरा जो गम कर रहा है?
सब चीज़े तेरी झोली में रख दी है
निकाल एक एक करके जीसकी तुझे जरुरत है
पड़ी रहने दे एक और जिसकी तिझे किल्लत नहीं है।
प्यार पे पेहरा देना सीख
चेहरे पर हंसी लाके मांग भीख
उसकी झोली में देने के लिए बहुत कुछ है
'प्यार से मांग ले ' तेरी हर जगह पूछ ही पूछ है।
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