मजाक सा होगा Majak Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मजाक सा होगा Majak

मजाक सा होगा

हम बच्चे नहीं
इतने कच्चे भी नहीं
संसार की सूझबूझ हम में है
हवा का रुख हम पहचानते है।

पहचानो
और जानो
करो सामना
और ले लो नामना।

कोई आपको नीचा नहीं दिखा सकता
अपने आपमें फर्क नहीं बता सकता
आपके कुछ अच्छे गुण हो सकते है
जो सामने वाले के पास ग़ुम हो सकते है।

अपनी पहचान खूब बनाओ
लोगो को एहसास कराओ
बता दो आप वो इंसान नहीं
सब काम आप करते सही।

कुछ पाने के लिए आप अपनी चाल नहीं बदल सकते
अपनों सोच को इतनी निचे नहीं गिरा सकते
आपने अपना मूल्य जानना होगा
किसी के हाथ में दस्ता बन जाना एक मजाक सा होगा।

Sunday, March 12, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 12 March 2017

कुछ पाने के लिए आप अपनी चाल नहीं बदल सकते अपनों सोच को इतनी निचे नहीं गिरा सकते आपने अपना मूल्य जानना होगा किसी के हाथ में दस्ता बन जाना एक मजाक सा होगा।

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