मन को विह्वल Man Ko Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मन को विह्वल Man Ko

मन को विह्वल
Wednesday, May 9,2018
8: 59 PM

इश्क़ का मतलब जाने बिना हम कर बैठे
बातबात में हम इसका इजहार कर बैठे
कहते है प्यार अंधा होता है!
खुली आंखवाले भी क्या कभी सोता रहता है?

इश्क़ करबेवालों की जमात नहीं होती
उनसे उनकी जात नहीं पूछी जाती
बस प्यार तो हो जाता है
एक छोटा सा गुनाह हो जाता है।

प्यार तो ईश्वरीय देंन होती है
बस उसकी तो इबादत ही करनी होती है
मिल जाय पसंदी दा, तो सहज बात होती है
नो मिले तो फिर रातें, वीरान हो जाती है।

ऐसे भी लोग देखे है
जो प्यार को धोखा नहीं कहते है
मिल जाए तो ख़ुशी व्यक्त करते है
ना मिले तो भी प्यार का सन्मान करते है।

इश्क़ सब को नसीब नहीं होता
नहीं भी मिलता तो, कोई मजनु नहीं होता
मन में छवि जरूर प्रस्थापित होती है
जब याद आती है तो मन को विह्वल कर देती है।

हसमुख अमथालाल मेहता

मन को विह्वल Man Ko
Wednesday, May 9, 2018
Topic(s) of this poem: poem
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Kapil Gupta 🙏 1 Manage LikeShow more reactions · Reply · 26m

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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