'मानवधर्म दिखाते रहेंगे 'manavdharm Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

'मानवधर्म दिखाते रहेंगे 'manavdharm

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'मानवधर्म दिखाते रहेंगे '

मंत्र गुनगुना ने से विश्व शांति नहीं आएगी
अपनी सोच को बदलना होगा
अपने विश्वास को कायम करना होगा
भारत के जनमानस को तैयार करना होगा।

कहो हम “भारत की अस्मिता को लूटने नहीं देंगे “
किसीको अपने मानस का दीवालियापन दिखाने की छूट नहीं देंगे
अाने वाले दिनों में किसी व्यक्ति विशेष को छूट नहीं देंगे
'सब नागरिक समान' का नारा गूंजने देंगे

जाती के नामका कोई सम्बोधन नहीं
धर्म के नामका कोई उद्बोधन नहीं
जाती और धर्म को बक्से में बंध करना होगा
अपने आप को 'भारतीय' कहलाना होगा

मजहब हमारा कोई भी हो सकता है
जाती हमारी कोई भी हो सकती है
हमें जीना है तो वतन की साख के लिए
इसी विस्वास पर कायम हे अपने गुरुर के लिए

हमारे सैनिको का मनोबल बढ़ाना होगा
उन्हें साजोसामान मुहैया कराना होगा
देश मजबूत होगा तो रक्षा कर पाएंगे
वरना अपने आपमें कायरता ही दिखा पाएंगे

शांति का सन्देश अपने बलबूते पर देंगे
विश्वसनीयता का सन्मान हम खुद करेंगे
हम कीसी की दखलंदाज़ी सहेंगे और करेंगे
बस हमारा ध्यान खुद रखेंगे और मुकाबला करेंगे।

देश के किसी कोने में आतंकवाद मंजूर ना होगा
किसी भी सूरत में सख्ती से पेश आना होगा
'हमारे जवानों की ऐसी मौत हमें मंजूर नहीं '
किसी भी नेता की उलटवानी हमें गवारा नहीं

'शांति से रहो और शांति से रहने दो '
'किसी को जान से मारनेकी ' प्रकृति को तिलांजलि दे दो
कायदे और कानून अपने काम करते रहेंगे
हम अपना 'मानवधर्म दिखाते रहेंगे '

Saturday, May 24, 2014
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Hasmukh Mehta welcome dhiren, abhinav, hiten, mehul and joshiyaaraa 2 secs · Unlike · 1

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2 people like this. Hasmukh Mehta welcome kirtan mishra n arun joshi 3 secs · Unlike · 1

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Mukesh Sharma BAHUT KHOOB 1 hr · Unlike · 1

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Seen by 6 2 people like this. Hasmukh Mehta welcome mulayam yadan n swayam ki khoj Just now · Unlike · 1

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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