में धीरे से
में धीरे से सुन रही थी
और समज रही थी
पापा मेरी और देखकर मुस्कुरा तो जरूर रहे थे
पर फिर चिंतातुर हो जाते थे। में धीरे से
शायद उनको मेरी फ़िक्र है
बार बार घर में ज़िक्र भी है
में इतनी बड़ी तो अभी नही हुई
फिर क्यों है चिंता सताती हुई? में धीरे से
मेरा मुस्कुराना फीका पड रहा है
मुझे ज्यादा समझ नहीं आ रहा है
पर कुछ बात तो जरूर है
शायद कुछ फिक्र तो है।… में धीरे से
मैंने अपनी काली काली बोली से उनको मोह तो लिया
थोड़ा सा मन का बोझ भी हल्का कर दिया
शायद मुझे देखकर वो सब भूलना चाहते है
अपने आपको खूब भाग्यवान समझते है।… में धीरे से
हर माँ बापको बच्चे बहुत प्यारे लगते है
अपने मन की धड़कन समझते है
थोड़ीसी देर के लिए सब कुछ पीछे छोड़ देते है
वो अपने आपको भाग्यशाली होने पर ज्यादा बल देते है।… में धीरे से
आदमी अपने आपको कमझोर समझता
यदि बच्चा घर में कुछ नही सताता
उसके बोलने से ही घर हरा हरा महसूस होता है
दुःख का दरिया भी अब छोटा सा नाला लगता है।… में धीरे से
x Aqdas Majeed Comments welcome Unlike · Reply · 1 · Just now Unlike · Reply · 1 · Just now 8 hours ago
आदमी अपने आपको कमझोर समझता यदि बच्चा घर में कुछ नही सताता उसके बोलने से ही घर हरा हरा महसूस होता है दुःख का दरिया भी अब छोटा सा नाला लगता है।… में धीरे से
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xTarun H. Mehta Comments welcome Unlike · Reply · 1 · Just now 10 hours