में माँग तेरी भर लू
ऐसी मेरी नसीब कहाँ!
मेरा सारा जहाँ वहाँ
बस तेरे कहने की ही देरी है
सारा जग मेरा बैरी है।
तू होगी मेरे आँगन की तुलसी
में तो अनाडी ओर ऊपर से आलसी
तेरा आना मेरा शुभप्रभात होगा
जीवन में अच्छी शुरुआत से प्रारंभ होगा।
इश्क़ तो एक बहाना है
उसको अमली जामा पहनाना है
में अभी जाना ही कहाँ हूँ?
मेरा उजाला तू और तेरी हाँ में हां हूँ।
ना कर अब देरी
मेरी दुनिया है अंधरी
बना दे उसे रंगीन और भर दे रंग सुनहरी
वरना मेतो करता ही रहूंगा 'हरी हरी '
तेरी होगी जबानी
पर होगी मेरी कहानी
खूब चर्चे होंगे हमारे
लोग लोटपोट हो जाएंगे हँसते हँसते हमारे बारे।
ना कहना कोई सखी से
वरना हो जाएंगे सब दुखी मन से
उन्होंने भी सपना सजा रखा था
पर मैंने तो उसे तेरे लिए ही सम्हाल के रखा था।
बस अब देरी नहीं
कोई मनसा अधूरी नहीं
में और तू कहानी के दो पेहलू
अब छोड़ जिद ओर आ जा ' में माँग तेरी भर लू '
बस अब देरी नहीं कोई मनसा अधूरी नहीं में और तू कहानी के दो पेहलू अब छोड़ जिद ओर आ जा में माँग तेरी भर लू
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welcome vijay singh Unlike · Reply · 1 · Just now