मिलना मुश्किल... Milna Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

मिलना मुश्किल... Milna

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मिलना मुश्किल
मंगलवार, २९ अगस्त २०१८

कठोरता
और मृदुता
साथ में चल नहीं सकती
दोनों चीजों का मेल नहीं बना सकती।

पर संभव जरूर है
इंसान की ये तासीर है
और मिजाज भी अक्सीर है
चेहरे से कठोरता और भीतर से मृदुता सम्भव है।

वाणी में संयम
यही होना चाहिए अभिगम
सच्चा आदमी यह कर सकता है
अपने को दूसरी श्रेणी में स्थापित कर सकता है।

वो कठोर लग सकता है
पर बुरा और हानि पहुँचानेवाला नहीं हो सकता
उसके कठोरतम भाव ऊपरी ही है
अंदर से मीठा और नरम ही है।

कठोर होना आवश्यक नहीं
पर ज्यादा मृदुल होना हानिकारक है
आदमी उसका नाजायज़ फायदा लेने की सोचते है
इसलिए आदमी अपनेलिए अच्छा कवच ढूंढते है।

आज ऐसे आदमी मिलना मुश्किल है
वो अलग से और अव्वल होते है
अपनी पहचान खुद बना लेते है
और किसी के दवाव में बिलकुल नहीं आते है।

हसमुख अमथालाल मेहता

मिलना मुश्किल... Milna
Tuesday, August 28, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 28 August 2018

आज ऐसे आदमी मिलना मुश्किल है वो अलग से और अव्वल होते है अपनी पहचान खुद बना लेते है और किसी के दवाव में बिलकुल नहीं आते है। हसमुख अमथालाल मेहता

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