Mohabbat Marichika (Hindi) मुहब्बत मरीचिका Poem by S.D. TIWARI

Mohabbat Marichika (Hindi) मुहब्बत मरीचिका

मुहब्बत मरीचिका (ग़ज़ल)

मुहब्बत एक ऐसी दरिया है
कोई न जाने मिलती किस समुन्दर में
बहता जाता है मुसाफिर
हो के बदहवास उस दरिया के मंजर में
मरीचिका सी उसकी मंजिल
जाने ना मुसाफिर, उडी किस बवंडर में
मगर वह ढूंढता रहता
कभी किनारे तो कभी भंवर के अंदर में
कभी डूबता कभी उतराता
कभी खो जाता एस डी तूफां के अंधड़ में

Sunday, August 23, 2015
Topic(s) of this poem: hindi
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