मोरे श्याम... More Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

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Rating: 5.0

मोरे श्याम
Friday, November 23,2018
9: 15 PM

आन मिलो मोरे श्याम
हो गई अब सुबह से शाम
अखियां तरस गई देखने को
भूल गए श्याम दिल से हमको।

बॉँहे पसारी राह में देखूं
हर चीज में.में आपको ढूँढू
घटघट मे बसे हो प्रभु
प्रकट हो जाओ, तुम हो स्वयंभू।

ऐसा ना हो, में वंचित रह जाऊं
इस जीवन में, देख ना पाऊं
देर ना करना, मुरलीवाले
ना आ पाओ तो, फिर कौन समाले?

हर चीज में प्रभु, आप बसे हो
जहाँ भी में देखूं, वहां रहते हो
फिर भी सदा रहता हूँ प्यासा
एक बार आके देना दिलासा

ओ मेरे गिरधर, बंसीवाले
ध्यान रखना मोरा, उपरवाले
करते रहे हम, दिल से वंदना
प्रभु ना करना, कभी मना।

हसमुख मेहता

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Friday, November 23, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Radhashyam Jana 23 November 2018

खुबसूरतBeautiful Beautiful

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 November 2018

ओ मेरे गिरधर, बंसीवाले ध्यान रखना मोरा, उपरवाले करते रहे हम, दिल से वंदना प्रभु ना करना, कभी मना। हसमुख मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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