कुछ रात के सपने भी बड़े सुनहरे होते है,
कुछ सपनो की परछाई बड़े गहरे होते है,
एक ख्वाब के साथ हम सपनो में उड़ रहे थे,
पहली बार मेरे ख्वाब अपनों में जुड़ रहे थे,
वो अपनी होंठो से मेरी पलको को चूम गये,
आँखे बंद थी मैं जाग रहा था, मेरे होश उड़ गए।
मैं जाग रहा था या नींद में था, पता नहीं,
मेरे सपने मेरी आँखों को चूम रहे थे,
पेड़ो की डालियाँ असमा में झूम रहे थे,
मैंने चाँद और तारों को साथ - साथ खेलते देखा,
सागर की लहरों से पर्वत की चोटियों को छेड़ते देखा,
सब के सब एक दूसरे से कुछ बात कर रहे थे,
कोई खास था जिसका वो इंतजार कर रहे थे,
कुछ देर बाद मैंने बदलो को दूर हटते देखा,
एक हल्की सी रौशनी में रात को छटते देखा,
बड़ी खुशियों के साथ कुछ एक दूसरे से दूर जा रहे थे,
और बड़ी प्यारी गीतों से कुछ प्रभात को बुला रहे थे,
मैंने पहली किरणों को धरती पे आते देखा,
प्रातःकाल पंछियो को गीत गुनगुनाते देखा,
खुले आसमान में पंछियो को उड़ते देखा,
पहली बार सुरों को गीतों से जुड़ते देखा,
पौधों की पंखुडियो से फूलों को खिलते देखा,
दूर कही आसमान को धरती से मिलते देखा,
पहली बार सोते हुए माँ को पास आते देखा,
'सुबह हो गयी बाबू ' कह कर जागते देखा,
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