ना बीत जाए, , , , Naa Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

ना बीत जाए, , , , Naa

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ना बीत जाए
मंगलवार, १८ सितम्बर २०१८

ज़माने के साथ आगे बढ़ते चलो
राह हो मुश्किल, आसान बनाते चलो
चलते रहे, बस रुकते नहीं
चाहत में उसकी, कोई कमी ना हो।

न हो मन में कोई छुपा भय
मन रखो दृढ, और बनो निर्भय
जीत आपकी ही हो तय
मुकरर करेगा उसको, आपका समय।

ना बीत जाए वो पल
आज ना हो जाए कल
सोच के करना है बात पक्की
किस्मत बदलेगा, ये है नक्की।

सितारे आपके बुलंद होंगे
कामयाबी को छूते होंगे
इरादे साकार होकर रहेंगे
सब लोग वाहवाह करते रहेंगे।

हमने ना जाना, कल क्या होगा?
जो भी होगा, बस अच्छा ही होगा
शोहरत कदम को चूमती रहेगी
आसमान से फूलों की बारिश होती रहेगी।

हसमुख अमथालाल मेहता

ना बीत जाए, , , , Naa
Tuesday, September 18, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 18 September 2018

हमने ना जाना, कल क्या होगा? जो भी होगा, बस अच्छा ही होगा शोहरत कदम को चूमती रहेगी आसमान से फूलों की बारिश होती रहेगी। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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