ना डरना Naa Darna Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

ना डरना Naa Darna

ना डरना

देखा हंसी का फव्वारा
मुझे बहुत ही लगा प्यारा
दिल तो वैसे ही था आवारा
पर दिल करता है है देखूं दुबारा।

हंसी का ताल्लुक सिर्फ अंदुरुनी ख़ुशी से है
वो कोई दवाई की शीशी नहीं
झट से खोली और ख़ुशी का पैगाम लेकर आ गयी
कभी कभी मरे ख़ुशी के रुलाके भी गयी।

जब कोई दुखी हंस ले तो समझो वाकई में फर्क आ गया है
इंसान अपना सब दर्द भूल गया है
या उसके दिल में सच्चा ज्ञान हो गया है
जिसे पाकर वो तान में आ गया है।

समझो अब बारिश आनेवाली है
बादल नहीं आकाश फिर भी गिरानेवाली है
बीजली भी चमक ने वाली है
अपनी हंसी को चार चाँद लगाने वाली है।

हंसी पे किसीका अधिकार नहीं
वो तो स्वयंभू है दिखती है सही
चेहरा खिल जाता है और चक दिख जाती है
यही बात मेरे जेहन में बारबार आती है।

'हसमुख' तेरा काम ही है हंसना
हंसने से कभी ना रुकना
खिल जाए एक दो फूल तेरे हंसने से
तो ना डरना अपनी जान देने से।

ना डरना Naa Darna
Wednesday, April 19, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 21 April 2017

welcome balika deshgupta

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 April 2017

manisha mehta Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 20 April 2017

welcome hitesh sharma Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 19 April 2017

हसमुख तेरा काम ही है हंसना हंसने से कभी ना रुकना खिल जाए एक दो फूल तेरे हंसने से तो ना डरना अपनी जान देने से।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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