नहीं आज
ना है मेरी हसियत
ना में छोड़ जाऊंगा वसीयत
बस रखी है साफ़ नियत
करता हूँ में याद उसे नियमित।
में शायद यहाँ नहीं होता
मेरा कारवाँ गुजर गया होता
वो रह गयी होती पीछे पुकारते पुकारते
में भी थक गया होता चलते चलते।
में शायद यहाँ नहीं होता
मेरा कारवाँ गुजर गया होता
वो रह गयी होती पीछे पुकारते पुकारते
में भी थक गया होता चलते चलते।
वो चिल्लाती रहती थी
अपने उसूल पर अड़ी रहती थी
में उसके विश्वास पर कायल था
मेरा ह्रदय उसकी आदत पर ओलगोल था।
आज में जब भी सोचता हूँ
मने में एक चित्र सा ढूंढता हूँ
कुछ लाइन दोरकार उसे लाइव रखना चाहता हूँ
वो मेरे सामने है फिर भी उसी दिल से मानता हूँ।
यही जिंदगी है और यही है सफर
वो रही मेरी संगदिल ओर हमसफ़र
मुझे नही याद आते कोई और अलफ़ाज़
बस वो रोक देती थी मुझे कह के 'नहीं आज '
यही जिंदगी है और यही है सफर वो रही मेरी संगदिल ओर हमसफ़र मुझे नही याद आते कोई और अलफ़ाज़ बस वो रोक देती थी मुझे कह के नहीं आज
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