नही चाहा
बुधवार, १५ अगस्त २०१८
लोगों के लिए में हो गया निकम्मा
निर्लज्ज और नाकाम
मेरा क्या होगा मकाम?
लेगा कोइ मेरे से इंतकाम।
नही चाहा मैंने बुरा किसी का
मददगार रहा सदा उसीका
जो हरदम इसके वांछू था
मानवता का हाथ मुझे छूता था।
मैंने हमेशा चाहा
उनकी मदद करना चाहा
गले से लगाकर उनका दुःख दूर करना चाहा
पर ज्यादा नहीं कर पाया उनका मनचाहा।
कथनी और करनी का फर्क होता है
मेरा काम करने का तरिका लोगों को पसंद नहीं आता है।
इसलिए वो मेरे घोर विरोधी हो जाते है
मेरे जीवन में आंधी बनके आ जाते है।
मेरा मानना है
लोगों की ही चाहना है
जो मेरे मनसूबे मजबूत करती है
और मेरे दिल पर हकूमत करती है।
हसमुख अमथालाल मेहता
मेरा मानना है लोगों की ही चाहना है जो मेरे मनसूबे मजबूत करती है और मेरे दिल पर हकूमत करती है। हसमुख अमथालाल मेहता
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