नेस्तनाबूद किया जाएगा nestanabud Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

नेस्तनाबूद किया जाएगा nestanabud

नेस्तनाबूद किया जाएगा Nestanabud

वो तो पहले से ही ज़न्नत था
मुल्क था देश का मुकट और उन्नत था
सही मायनो में सौंदर्य से भरपुर
स्वर्ग से भी ऊंचा अमरापुर।

लोग नजरे पहले ही गड़ाए बैठे थे
मुल्क के बटवारें की ताक में अपघोषणा कर दी ना बनाने की सोच में थे
हिन्दू महाराजा ने घोषणा करदी विलय के साथ
तब से है हमारा और उनका सँगाथ।

ना बन पाया तो गुसपेठिए भेज दिए
लूटपाट और माराकाटी के माहिर खुद जज बन गए
चारो और कत्लेआम और बर्बादी का माहौल हो ग़या
लश्कर ने अपनी कमान समालि और काश्मीर बच गया।

धरतीकम्प की याद ताज कर ले
कितनी मासूम जाने बचाकर लायें
अपना राशन उनके लिए छोड़ा
पर अपना मुख नहीं मोड़ा।

आज उसी धरती के ख़िलाफ काले झंड़े
जो हिफाजत के लिए हैउनको गोलियां और डंडे
बेशर्मी की हद तो तब आई जब आतंकवादी के लिए आंसू बहाएं
न्याय हुआ इधर और काला दिन उधर मनाए /

देश जयचंदो की कमी नहीं
उनकी मुक हामी ही सही
देश बर्बाद हो रहा है
कितनी माशूम जाने गँवा रहा है।

देश यूँही आगे नहीं बटेगा
देश का हर युवान खून बहायेगा
धरती का एक टुकड़ा नहीं दिया जायेगा.
जो आएगा बीचमे उसको नेस्तनाबूद किया जाएगा

नेस्तनाबूद किया जाएगा 	nestanabud
Friday, July 22, 2016
Topic(s) of this poem: poem
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देश यूँही आगे नहीं बटेगा देश का हर युवान खून बहायेगा धरती का एक टुकड़ा नहीं दिया जायेगा. जो आएगा बीचमे उसको नेस्तनाबूद किया जाएगा

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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