पलभर
जिंदगी से मुझे प्यार आ गया
हवा के एक झोके से में शर्मा गया
बहार थी चारो और फिर इश्कि बहार का क्या कहना?
में मन में चलते कुविचार कैसे कर सकते थे सामना?
हमने सोचा बहुत हो गया अकेलापन
अब तो हो जाए इतका समापन
मै तो चला नैसर्गिक गोद में
बस सिर्फ एक स्वर्गिक सोच और याद में।
क्या फूल थे?
क्या रंग थे?
सब हँसते ही तो थे
मेरा मजाक उड़ा रहे थे।
में पलभर अपने आपको भूल गया
सही मायनो में खो गया
आज पता पड़ा प्यार क्या होता है
जो गैर होकर अपना सा लगे वो ही प्यार है।
बस अपना जीवन अपना है
खामोश कभी नहीं रहना है
सब से बाते और साथ रहना है
हो सकता मीठापन जवान पर रखना है।
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बस अपना जीवन अपना है खामोश कभी नहीं रहना है सब से बाते और साथ रहना है हो सकता मीठापन जवान पर रखना है।