पतन की निशानी Patan Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

पतन की निशानी Patan

पतन की निशानी

चुनाव एक डेमोक्रेटिक प्रक्रिया है
इसमें जनता का रुझान दिखाया जाता है
सही और विश्वासु नेता ही जीतकर आते है
जनता को खुश रखने के लिए खूब खाते और पिलाते है।

पता नहीं इतना पैसा कहाँ से आता है?
उद्योगपति और व्यापारी भी दिल खोलकर पैसा देते है
उसका हिसाब रखना होता है
फिर भी पैसा दूसरे रास्ते से लाया जाता है।

पडोसी मुल्क अपना हित देखते है
अमान्य तरीके से चुनाव फंड में पैसा देते है
दुश्मन देश से पैसा लेना देश के हितमें नहीं होता है
देश को इसका खामिजा भुगतना पड़ता है।

ऐसी चीज़े सामने आने से मटियामेट हो जाता है
जनता के सामने उनका पर्दाफ़ाश हो जाता है
फिर वो अपना चेहरा नहीं दिखा पाते है
चुनावी नतीजे उनको रुला देते है।

अभी अभी पाकिस्तान के विदेशमंत्री की गुपचुपमुलाक़ात कोंग्रेसी नेताओ से हुई
क्या बात हुई वो उजागर नहीं हुई
पर ये चिंता का विषय हुई है
इसमें यह फंड लेने का किस्सा बदनामी जरूर लाएगा।

एक तबजे को जाती के आधार पर बांटना
कुनबे को ही नजर समक्ष रखकर अध्यक्ष का चुनाव करना
एक ही परिवार के सदस्य को कमान सौंप ना उनकी मज़बूरी है
यह सब पतन की निशानी सबको डूबोने वाली है

Wednesday, December 13, 2017
Topic(s) of this poem: poem
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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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