Pawan Rang Peela (Hindi) पावन रंग पीला Poem by S.D. TIWARI

Pawan Rang Peela (Hindi) पावन रंग पीला

पावन रंग पीला

सबसे पावन, सबसे चटकीला।
रंगों में होता है रंग पीला।

खिलते देख, खिले कृषक मन,
खेतों में उसके सरसों पीली।
बसंत में बसंती हुई रे गोरी,
पहन निकलती जब साड़ी पिली।
होते जवान चिंता चढ़ जाती,
कैसे बिटिया का हाथ हो पीला।
सबसे पावन...

यौवन में उड़े, पीली चुनरिया,
देखत ही, जाय लजाय बसंत।
सूरजमुखी की सुरभि कुछ ऐसी,
मदमत्त खिंचे आते मकरंद।
बसंत की छवि देख आम भी,
हो जाता है बौराकर पीला।
सबसे पावन....

राम कृष्ण को पीताम्बर भाता,
चढ़ता मंदिर में गेंदे का फूल।
देवों के देव महादेव के मन,
भाता है पीले कनैल का फूल।
देवताओं को शुभ लगता जब,
हल्दी में रंगा हो अक्षत पीला।
सबसे पावन...

कोरे कागज पर भेज न देना,
न्यौता पर छिड़क दो हल्दी पीली।
उल्टा सीधा कुछ भी खा पीकर,
करना ना खुद की सेहत पीली।
कोरी धोती ना देते अनाड़ी,
हल्दी से रंग दो कोना पीला।
सबसे पावन...

(c) एस० डी० तिवारी

Monday, February 27, 2017
Topic(s) of this poem: hindi,nature,religion,tradition,colour
POET'S NOTES ABOUT THE POEM
This is Hindi song about yellow colour. How yellow colour is important in nature, in Hinduism, in Indians life; is described in this poem.
COMMENTS OF THE POEM
READ THIS POEM IN OTHER LANGUAGES
Close
Error Success