प्रभु ध्यान Prabhu Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्रभु ध्यान Prabhu

प्रभु ध्यान

सिर्फ सुनना नहीं
समय गुजारना नहीं
वाणी में विलास नहीं
सिर्फ सफ़ेद लिबास नहीं।

ना करना कोई बहस
बात है सहज
अच्छी बात को गौर से समझना
जीवन है कठिन फिर भी उसका पालन करना।

कोई बात नहीं फिर भी सुनो
किसी को दुःख है ऐसे शब्द ना बोलो
प्यार से केहदो 'जय जिनेंद्र'
कभी नहीं रहोगे दरिद्र।

सच बोलना महा कठिन है
फिर भी सरल है
अपनी वाणी में संयम
बस रखो टेक कायम।

हो सके तो देना
अपनी थाली में से एक टुकड़ा अलग से रख देना
किसी के मुंह में जाय ऐसा प्रबंध करना
और सच्चे मन से प्रभु ध्यान धरना।

प्रभु ध्यान Prabhu
Thursday, July 6, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

welcome jen walls Like · Reply · 1 · Just now

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welcome rupal bhandari

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welcome binit mehta Like · Reply · 1 · Just now

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हो सके तो देना अपनी थाली में से एक टुकड़ा अलग से रख देना किसी के मुंह में जाय ऐसा प्रबंध करना और सच्चे मन से प्रभु ध्यान धरना।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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