प्रभु ध्यान
सिर्फ सुनना नहीं
समय गुजारना नहीं
वाणी में विलास नहीं
सिर्फ सफ़ेद लिबास नहीं।
ना करना कोई बहस
बात है सहज
अच्छी बात को गौर से समझना
जीवन है कठिन फिर भी उसका पालन करना।
कोई बात नहीं फिर भी सुनो
किसी को दुःख है ऐसे शब्द ना बोलो
प्यार से केहदो 'जय जिनेंद्र'
कभी नहीं रहोगे दरिद्र।
सच बोलना महा कठिन है
फिर भी सरल है
अपनी वाणी में संयम
बस रखो टेक कायम।
हो सके तो देना
अपनी थाली में से एक टुकड़ा अलग से रख देना
किसी के मुंह में जाय ऐसा प्रबंध करना
और सच्चे मन से प्रभु ध्यान धरना।
हो सके तो देना अपनी थाली में से एक टुकड़ा अलग से रख देना किसी के मुंह में जाय ऐसा प्रबंध करना और सच्चे मन से प्रभु ध्यान धरना।
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