प्यार ही बस प्यार Pyar Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

प्यार ही बस प्यार Pyar

प्यार ही बस प्यार

इंसान है इंसानियत को सम्हालते चले
एक दूसरे के गले से मिलते चले
ना जाने राह कब ख़त्म हो जाए
एक दूसरेको समझ ने का वक्त ही न मिल पाए।

प्यार ही एक पर्याय है
सब दुःखोंका एक ही उपाय है
हमारे पास समय तो है
पर समझना किसको है?

एक दूसरे का दुःख बाटने से ही समय निकलेगा
सदाकाल तुम्हारा नाम गूंजता रहेगा
वैसे ये देह नश्वर है
सही मार्ग तो ईश्वर का है।

ना जाया करे हम अपना ये अमुल्य जीवन
रखे इंसानी मूल्यों को सजीवन
कारवाँ तो चलता रहेगा
बस आपका नाम ही याद रहेगा।

ना करो किसी की बुराई
बन के रहो किसी की परछाई
हमदर्दी ही सब दुखों का इलाज है
भाईचारा ही हमारे झझबात है

प्यार ही बस प्यार
और ना हो कोई आविष्कार
सब का है अधिकार
"सुख से रहो और सुखी रेहनेदो" यही हो पुकार।

प्यार ही बस प्यार Pyar
Saturday, January 13, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 13 January 2018

प्यार ही बस प्यार इंसान है इंसानियत को सम्हालते चले एक दूसरे के गले से मिलते चले ना जाने राह कब ख़त्म हो जाए एक दूसरेको समझ ने का वक्त ही न मिल पाए। प्यार ही एक पर्याय है सब दुःखोंका एक ही उपाय है हमारे पास समय तो है पर समझना किसको है? एक दूसरे का दुःख बाटने से ही समय निकलेगा सदाकाल तुम्हारा नाम गूंजता रहेगा वैसे ये देह नश्वर है सही मार्ग तो ईश्वर का है। प्यार ही बस प्यार और ना हो कोई आविष्कार सब का है अधिकार सुख से रहो और सुखी रेहनेदो यही हो पुकार।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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