रात कटी गयी रोते रोते
हम सो गए बिलखते बिलखते
कहाँ के नहीं रहे हे किसे बताए?
सोचते है यह दिन कैसे भी कट जाए।
मिलना उनसे का नामुनकिन सहीं
भूलना हमें यक़ीनन मंजूर नहीं
वो दिनहंसी के थोड़े ही सही
गंवाना हमें मंजूर नहीं।
हादसे जिंदगी में जरुर होते है
वो किसी को भी भीढाते रहते है
उनको ना स्वजन का पता है ना पराएका
उनको तो चाहिए बस शिकार एक्का और दुक्का।
हमें मीट जाना मंजूर है
उनका ना दिखना भी कुबूल मंजूर है
एक बात का फिर भी अफ़सोस रहेगा
जब तक साँस है आस का बंधना ओर टूटना तो लगा रहेगा।
ना हम ने प्रेमबंधन को बांधना चाहा
नहीं कभी वासना का रूप देना चाहा
बस चाहां तो सिर्फ एक बंधन, जो अटूट रहे
मेरे ना चाहते हुए भी सिमित न रहे।
उनकी चाहत हमें सोने नहीं देती
नाहीं उनकी गैरमौजूदगी रोने देती है
हम सिर्फ आह भरकर एहसास कर लेते है
उनका खूबसूरत सा चेहरा महसूस कर लेते है
दिले नादाँ हम तुम्हे कैसे समजाये!
प्रेम कि नफरत से हम कैसे है बौखलाए?
न भूलते बनता है नाही याद रखते बनता है
पर क्या करे दिल उसे नादानी से बहुत ही चाहता है!
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Arti Karkera likes this. Hasmukh Mehta welcome arti a few seconds ago · Unlike · 1
Bunty Singh likes this. Hasmukh Mehta welcome a few seconds ago · Unlike · 1
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