Ramayan Ki Naari सीता (Hindi) Poem by S.D. TIWARI

Ramayan Ki Naari सीता (Hindi)

Rating: 5.0

सीता

की कड़ी तपस्या जनकदुलारी
काँटों से भरी थी जिंदगी सारी

पली वो ज्यों फूलों की कली
मगर कष्ट वन के सह ली
घर से दूर रह कर सीता
भूख प्यास सह कर सीता
सदैव पतिव्रता धर्म को धारी
की कड़ी तपस्या जनकदुलारी

दैत्य रावण हर कर ले गया
सिय को विरहन करके ले गया
अशोक वाटिका में था वास्
साजन बसे समुन्दर पार
अकेली बैठी विरह की मारी
की कड़ी तपस्या जनकदुलारी

जोह में बीते बरस अनेक
पहुंचे राम लखन समेत
सीता को लाये रावण संहार
पायी सीता अपना परिवार
पल पल झेली विपदा भारी
की कड़ी तपस्या जनकदुलारी

जिसके करते राम थे रक्षा
देनी पड़ गयी अग्नि परीक्षा
फिर से गईं वन में सीता
हर संकट को उन्होंने जीता
लव कुश की बनी महतारी
की कड़ी तपस्या जनकदुलारी

- एस० डी० तिवारी

Saturday, November 19, 2016
Topic(s) of this poem: hindi,epical
COMMENTS OF THE POEM
Rajnish Manga 19 November 2016

सुंदर वर्णन, तिवारी जी. इन दो ही पंक्तियों में आपने भगवती सीता के जीवन का सार दे दिया है: की कड़ी तपस्या जनकदुलारी काँटों से भरी थी जिंदगी सारी

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