मानवीयता पल-पल हो तार-तार
आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता'.
क्या बलात्कारियों की जाति, कोई धर्म होता है..?
फूल जैसी बच्ची को गिद्धों ने नोंच डाला.
तन से ज्यादा मन को. रोंदडाला
जिस्म के चिथड़ों पर लहू की नदी बहाई थी,
बहुत चीखी चिल्लाई थी,
बदहवास बेसुध दर्द से तार-तार थी लड़की,
लड़की थी बस इसी लिये गुनहगार थी?
क्रूरताकी हद पार कर अंग-भंग कर डाला
मर जाने पर शासन ने राख में बदल डाला
हृदय आज क्रंदन कर रहा है।
असहनीय वेदनाओं के जकड़न में
उलझा है, द्रवित है हृदय।
निरीह, अबला, लाचार सब वासना
पशुता की भेंट चढ़ जाए।
समाज मानवीयता पल-पल हो तार-तार
पैसे और सत्ता के सुख में डूबे हाथी मदमस्त हजार।
आभार आपका की आपने इतनी सुन्दर अभिव्यक्ति से हम सब को जगाने की कोशिश की फिर एक दाग आज फिर मेरे हिन्दुस्तान के माथे पर दाग लग गया, क्यूंकि मेरे हिन्दुस्तान की बेटी का एक बार फिर से चीरहरण हो गया।। क्यूँ भूल जाते हो तुम अपनी मर्यादा, फिर क्यूँ तुम भूल जाते अपने संस्कार।। यह मेरे द्वारा यह उस जानवर के ऊपर लिखी गई है जो मेरे प्यारे हिन्दुस्तान की बेटी के साथ गलत कार्य करता हैं और अपने आप को बाहुबली मानव कहता है एक बेहतरीन रचना 100++
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so sad and cruel show.. I feel so bad and grieved.. real 10 फांसी दो, फांसी दो गुरूवार, १ अक्टूबर २०२० जहां नारी असहाय है और जुल्म की बोलबाला है वहां का अंत बड़ा बुरा होगा जीवन के अंतकाल तक भुगतना होगा। डॉ जाडीआ हसमुख