(गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई)
आओ चलो लगाएॅ, मिल जुल के ये नारा ।
सारे जहाॅ से अच्छा है, कानून हमारा ।
बाबा की दैन है ये, अपने व़तन की जान।
इस में रची बसी है, हिन्दुस्ताॅ की शान ।
हक़ का है ज़िक्र इसमें, हक़ की है ये ज़बान ।
मक़सद है ये आज़ादी का, कहती है ये अवाम।
मजबुर बे कसों का, बेहतर है सहारा ।
सारे जहाॅ से अच्छा है, कानून हमारा ।
कई मुल्क के कानून का संगम है ये पोथी।
हर हर्फ इसका हीरा है, हर लफ़ज है मोती।
न ज़ात की है बात, न मज़हब की सयासत ।
हिन्दु नहीं, मुस्लिम नहीं, कानून है भारत ।
है प्यार के बानि को, नफरत न गवारा ।
सारे जहाॅ से अच्छा है , कानून हमारा ।
रचना&लेख: - अंजुम फिरदौसी
(Block: -Alinagar, Darbhanga, Bihar)
This poem has not been translated into any other language yet.
I would like to translate this poem