सब से अलग
गरीबी
बनाती है करीबी
जोड़ती है रिश्ते भी
चलते रहते है शिरस्ते भी।
गरीब को भी इज्जत होती है
उच्च भावना और मन्नत होती है
जब पूरी हो जाय तब गले मिलना होता है
जनम जनम का बंधन दोहराया जाता है।
गरीब को थोड़ी सी लज्जा आ जाती है
जब उसकी मंशा को थोड़ी सी ठेस पहुँचती है
वो ज्यादा चकाचौग ओर पैसे का नुमाइंदा नहीं बन सकता है
उसका सर सदा उनका आभारी रहता है।
उसका असर उम्रभर चलता है
लड़की जब ब्याह कर जाती है
तो उसका घर ससुराल हो जाता है
पैसेवाले भी उसके घर का सन्मान करता है।
नही टूटते रिश्ते सिर्फ पैसे के खातिर
जरुरत को सब जानते है गरीब या अमीर
हां ये जरूर है बिना पैसे किसी का मान नहीं
हर कोई ठोकर मारेगा और करेगा अपमान यही।
मान लो अपने आपको सब से अलग
बनाते रहे रिश्ते अलग अलग
पर कभी ये भनक ना आने दे
और सबको सुख की नींद सोने दे।
मान लो अपने आपको सब से अलग बनाते रहे रिश्ते अलग अलग पर कभी ये भनक ना आने दे और सबको सुख की नींद सोने दे।
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tarun h mehta Unlike · Reply · 1 · Just now 2 Dec by