सबकुछ मिलेगा Sabkuchh Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सबकुछ मिलेगा Sabkuchh

Rating: 5.0

सबकुछ मिलेगा

Saturday, May 26,2018
8: 40 AM

नहीं प्यार होता है नया
और नाही हो जाता है पुराना
बस नजरों का फेर है
प्यार तो अमर है।

कोई उसे इबादत से देखता है
तो कोई उसकी खूबसूरती को देखता है
बदन तिलस्माती हो और चेहरा रूमानी
मन तो वैसे ही हो जाता है निमाणी।

शायरा ना अंदाज से भी देखो
हर चीज़ को प्यार और महोब्बत से देखो
एक अलग ही खूबसूरती पेश आएगी
बस आपके दिल को छू जाएगी।

ये तो उसका नजराना है
आपने उसे अपनाना है
किसी को अपना बनाना है
उसके गुण को पहचानना है

हो सकता आप शकल कोदेखकर प्यार कर बैठे
बाद में आप दिल को कोसे और ठगा सा महसूरकरें
ये आपका नजरिया है जो धोखा देता है
आपको दिन में तारे नजर देखने लगते है।

आप नियत को जरूर समझे
बाकी इधर-उधर ना उलझे
यदि प्यार सच्चा है और मकसद सही
आप को सबकुछ मिलेगा और होगा भी वही।

हसमुख अमथालाल मेहता

Friday, May 25, 2018
Topic(s) of this poem: poem
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आप नियत को जरूर समझे बाकी इधर-उधर ना उलझे यदि प्यार सच्चा है और मकसद सही आप को सबकुछ मिलेगा और होगा भी वही। हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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