संगीत गीत
काव्य सृजन
है ये एक गुंजन
तार बजते करवाते मंथन
दिल ढूंढता 'कहाँ है मेरा पथदर्शन'
संगीत
में बेसे मेरे गीत
मेरी लगन, मेरे मीत
मेरी अप्रितम मनेच्छा और प्रीत।
मेरी साधना
और दिली आराधना
शुरू कर रही है महकाना
दीपक भी जल रहें है आश्काना।
जलना ही जीवन है
पर सुख बन में है
संगीत के सुर वहां बसते है
पंखी सुर को अपने कंठ से रेलाते है।
उसको पाना मेरा उद्देश्य
में सफल होऊंगा अवश्य
धरती भी अपने रस में समा लेगी
दिल और मन मनोहर दृश्य देख कर काव्य बना लेगी।
Reeta Kumari बहुत सुंदर 😃 Like · Reply · 1 · 24 July at 08: 02 Remove Reeta Kumari Reeta Kumari धन्यवाद आपका श्रीमान 😀 LikeShow More Reactions · Reply · 1 · 24 July at 08: 04
उसको पाना मेरा उद्देश्य में सफल होऊंगा अवश्य धरती भी अपने रस में समा लेगी दिल और मन मनोहर दृश्य देख कर काव्य बना लेगी।
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