संगीत गीत Sangeet Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

संगीत गीत Sangeet

संगीत गीत

काव्य सृजन
है ये एक गुंजन
तार बजते करवाते मंथन
दिल ढूंढता 'कहाँ है मेरा पथदर्शन'

संगीत
में बेसे मेरे गीत
मेरी लगन, मेरे मीत
मेरी अप्रितम मनेच्छा और प्रीत।

मेरी साधना
और दिली आराधना
शुरू कर रही है महकाना
दीपक भी जल रहें है आश्काना।

जलना ही जीवन है
पर सुख बन में है
संगीत के सुर वहां बसते है
पंखी सुर को अपने कंठ से रेलाते है।

उसको पाना मेरा उद्देश्य
में सफल होऊंगा अवश्य
धरती भी अपने रस में समा लेगी
दिल और मन मनोहर दृश्य देख कर काव्य बना लेगी।

संगीत गीत Sangeet
Sunday, July 23, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM

Reeta Kumari बहुत सुंदर 😃 Like · Reply · 1 · 24 July at 08: 02 Remove

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Reeta Kumari बहुत सुंदर 😃 Like · Reply · 1 · 24 July at 08: 02 Remove Reeta Kumari Reeta Kumari धन्यवाद आपका श्रीमान 😀 LikeShow More Reactions · Reply · 1 · 24 July at 08: 04

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welcome 1 Bijendra Singh Tyag Like · Reply · 1 ·

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उसको पाना मेरा उद्देश्य में सफल होऊंगा अवश्य धरती भी अपने रस में समा लेगी दिल और मन मनोहर दृश्य देख कर काव्य बना लेगी।

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Mehta Hasmukh Amathaal

Mehta Hasmukh Amathaal

Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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