Shaharon Me Bhediye शहरों में भेड़िये Poem by S.D. TIWARI

Shaharon Me Bhediye शहरों में भेड़िये

शहरों में भेड़िये

कैसा समय आ गया, महिलाओं को
रहना पड़ रहा पहरों में.
आज शहरों में जी रही माता बहनें
खौफ की ही लहरों में.
उनके चीख की आवाज भी अब तो
गुम जाती है बहरों में.
देख कर अंदाजा लगाना मुश्किल
कौन छुपा है चेहरों में.
आज कल जंगली भेड़िये भी यारों
घुस आये हैं शहरों में

- एस० डी० तिवारी

Friday, May 1, 2015
Topic(s) of this poem: society
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