सुनहरे सपने
शुक्रवार, २१ सितम्बर २०१८
सुनहरे सपने मैं सजाऊँ
जीवन में खुश हो जाऊं
रंगबेरंगी फुलो की दुनिया में बनाऊं
खुशबु से तर, और सुगंदित हो जाऊं।
ये दुनिया है एक मेला
यहाँ रहता है आना जाना
कोई आए हँसते हँसते
और कोई जाए रोते रोते।
हमने है संवारना
और ना कभी भूलना
जीवन की है ये मूल भावना
दूर रहे हम सब से, और ना रखे दुर्भावना।
यह पल है और मौक़ा सुनहरा
मन रेहता सदा हरा हरा
जिसने कि अपनी कायापलट
टल जाएगा एक बार की संकट।
क्या तूने पाया और क्या खोया?
जीवन में बस सोया हो सोया
ना जाना उसकी एहमियत
और भूल बैठा अपनी इंसानियत।
हसमुख अमथालाल मेहता
क्या तूने पाया और क्या खोया? जीवन में बस सोया हो सोया ना जाना उसकी एहमियत और भूल बैठा अपनी इंसानियत। हसमुख अमथालाल मेहता
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