सुनहरी रात... Sunahri Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सुनहरी रात... Sunahri

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सुनहरी रात
रविवार, १६ सितम्बर २०१८

चाहे तो दिल दे दे
और चाहे तो लेले
वचन दिया जो तूने
उसे आज तो निभा ले।

मिल जाय अगर तेरा हाथ
संग चलेंगे साथ साथ
एक दुसरे को खूब चाहेंगे
बारबार यू ही मिलते रहेंगे।

मिलना एक संयोग की बात है
मिलन हो तो सुनहरी रात है
क्या बोले या ना बोले!
रात तो यूँ ही बितती चले।

प्यार हमारा है अनोखा
लोगो ने ऐसा कभी ना देखा
करे चर्चा हमारे बारे में
थक जाते है बताते बताते।

हम रहे बेफिक्र
क्यों करे कोई जिक्र?
हमें नहीं है कोई फ़िक्र
बस करते रहें शुक्र।

बस लगे रहना है
अपने वचन पर कायम रहना है
साथ है तो साथ ही रहेंगे
जीवनभर एक दूसरे के बनेंगे

हसमुख अमथालाल मेहता

सुनहरी रात... Sunahri
Sunday, September 16, 2018
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 16 September 2018

बस लगे रहना है  अपने वचन पर कायम रहना है  साथ है तो साथ ही रहेंगे  जीवनभर एक दूसरे के बनेंगे हसमुख अमथालाल मेहता

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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