सुन्दर सा सेतु
आप एक ही राग अलापे
उसकी ही तस्वीर हो आंखोके आगे
सब से अलग और सब से न्यारी
दोस्ती है सब से प्यारी
ना वो मिलता
ना कोई रिश्ता बनता
ना उनसे मुलाक़ात होती
और रिश्तेनाते हकीकत बन जाती।
बस तुम होते गए सुदामा के श्याम
हम भी कहते गए हाथ जोड़ के 'रामराम'
न रखा दिल में कोई राज गुमनाम
सब कर दिया न्योछावर दोस्ती के नाम।
ना होगा विश्वास का अनादर
और नाहीं टूटेगा आदर
बनी रहेगी शुभेच्छा मजबूती के साथ
दोस्ती का होगा मुकाबला आज सरेआम।
जीवन है पतझड़
फिर भी मन रहता अल्हड
कभी चढ़ाव आया तो कभी उतार
फिर भी भजते रहे किरतार।
ना किया किनारा अपनों से
सभी अपनाया बड़े प्यार से
दिल में बन गया एक सुन्दर सा सेतु
यही तो था इंसानियत का हेतु!
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ना किया किनारा अपनों से सभी अपनाया बड़े प्यार से दिल में बन गया एक सुन्दर सा सेतु यही तो था इंसानियत का हेतु!