सुरक्षित रखना Surakshit Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

सुरक्षित रखना Surakshit

सुरक्षित रखना

पहले राज रजवाडोने हिंदुस्तान की घोर खोदी
हम ने १२०० साल गुलामी की जंजीरो में बीता दी
गांधीजी ने अपना सर्वस्वा न्योछावर कर दिया स्वतंत्रता के लिए
और यह बी कह दिया की अब लड़ाई पूरी हुई ' नाबूद कर दो अब इस संस्था कांग्रेस को अब कोई रोल नहीं बचा देश के लिए '

देश के बंटवारे होने दिए
कितने रियासत पाकिस्तान के साथ हो लिए
हिन्दू होते हुए भी उनका झुलावे उस तरफ रहा
नवाबो ने पहले से ही अपना रुख साफ़ करते हुए उनकी तरफ इच्छा का रुख रहा।

कांग्रेस ने पकिस्तान की स्थापना होने के बावजूद मुस्लिमों को देश छोड़ने से रोका
सिखों का कत्लेआम सरेआम हुआ फिर भी किसी ने नहीं टोका
पाकिस्तान ने हमला कर कई कश्मीरी इलाके अपने में मिला दिए
उस दिन से आजतक हिन्दुओ पर जुल्म ढालते गए

कश्मीरी पंडीतो को राज्य निकाला मिला
पूरा राज्य एक ही लोगों के अधीन हो गया
भारत के कितने सपूतो ने अपना खून बहाया!
आज भी हम नहीं कर सके है उनका सफाया।

अब भारत के जयचंद रोहिंग्या मुसलमानो के हक़ में खड़े है
उन सब को भारत में बसाने की योजना है
क्यों ये सब पकिस्तान और मुस्लिम देशो में जाके नहीं बस्ते?
जब की वो लोग पुरे जोश से चंदा देते।

कई नामी लोग दिखते ते है लिस्ट में
सब चन्दाखोर है और अपनी दूकान खोले हुए है
भारत का नुक्सान कैई से हो उनका पूरा ख़याल रखते है
अरे आतंकवादियों को कवच देने में भी इनका पूरा योगदान है।

हमें जागृत होना है ओर भारत माँ की रक्षा करना है
यह वक्त हमें एकजूट होकर सामना करना है
उनकी हर चाल को नाकाम करना है
अपने देश की सरहद को सुरक्षित रखना है।

सुरक्षित रखना Surakshit
Sunday, October 15, 2017
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 15 October 2017

हमें जागृत होना है ओर भारत माँ की रक्षा करना है यह वक्त हमें एकजूट होकर सामना करना है उनकी हर चाल को नाकाम करना है अपने देश की सरहद को सुरक्षित रखना है।

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