Tab Aur Ab (Hindi) तब और अब Poem by S.D. TIWARI

Tab Aur Ab (Hindi) तब और अब

तब और अब

आज टेलीविज़न है तब दिव्या दृष्टि थी।
आज नलकूप है तब बाण वृष्टि थी।
आज कंप्यूटर है तब दिव्या ज्ञान था।
वायु मार्ग से जाने हेतु वायुयान था।
आज मोबाइल है तब थी आकाशवाणी।
आज मोटर गाड़ी तब विविध सवारी।
अब परमाणु बम गिराकर लाखों मारते।
तब मन्त्रों से ही भाव के पार उतारते।
आज चाँद पर भेजते तब ग्रहों से बुलाते।
ग्रहों की परिक्रमा सभी देव लगाते।
आज दूरबीन लगाकर झांकते नभ में।
तब झांक सकते थे भविष्य के गर्भ में।
आज बाढ़ तूफान रोकने की शक्ति नहीं।
तब बांध लेते थे आंधी तूफान नार नदी।
अपराध रोकने का नहीं बना पाए यन्त्र।
तब नष्ट करते पाप पापी पढ़कर मंत्र।
आज हमारे पास विज्ञानं की शक्ति है।
तब वे रखते दिव्य ज्ञान की शक्ति थे।

- एस० डी० तिवारी

Friday, January 13, 2017
Topic(s) of this poem: hindi,religion
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