तन्हा
रविवार, ९ सितम्बर २०१८
तोड़ दिया तूने वादा
अडी रही और ऊपर से आमादा
पास कर दी हमारे लिए आपदा
और धीरे से कर दीया बीदा।
बस इतना ही होने देना था
तो फिर क्यों बहाना बनाना था?
हम तो बहते गए भावनाओं में
और खो गए सुन्दर सपनों में।
कितने कितने अरमान सजाये हमने?
कह भी दिया सारा आपके सामने
कोई चीज को छिपा या ही नहीं
बात कभी बिगाडी ही नहीं।
हम समज ना सके
रुख जो थे हवा के
बस वो तो बहती गई
और हमें मदहोश करती गई।
अचानक मौसम पलटा
और दांव पड गया उलटा
हम ने ना जाना ऊंट किस करवट बैठेगा
समय आने पर वैसे ही चल देगा।
हम तो रह गए तन्हा
हाँ की हो गई अब ना
कैसे अब हम समझाएंगे?
बीती बात को कैसे भूल पाएगे?
हसमुख अमथालाल मेहता
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हम तो रह गए तन्हा हाँ की हो गई अब ना कैसे अब हम समझाएंगे? बीती बात को कैसे भूल पाएगे? हसमुख अमथालाल मेहता