तेरे उपकार।
मॉ का दिया हुआ सब कुछ है
जन्नत भी और दोजख भी है
में क्यों चाहु माँ के सिवा?
मेरा कोई मकसद नहीं और आघे जीना।
उसने मुझे शरीर दिया
लोरी बोल बोलकर सुलाया
संसार का सारा सुख दिलाया
खुद भूखे सो कर मुखे खिलाया।
माँ का जीवन कभी दूभर नहीं होने दिया
उसके दुःख लगे ऐसे शब्द का उच्चार नहीं किया
वो ही तो है मेरा सर्वस्व संसार
में सदा व्यक्त करू उसका आभार।
तूने उफ़ तक नहीं किया
मुझे सन्मान से बड़ा किया
हर ख्वाहिश को पूरा किया
में जीवन में गदगद हुआ।
ना होती तू तो क्या होता?
मेरा जीवन कैसे व्यतीत होता?
में जंगली ही रह जाता बिना कोई संस्कार
ये सब तेरे ही तो है उपकार।
welcoem rupal bhandari Unlike · Reply · 1 · Just now
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welcoem welcoem manisha mehta Unlike · Reply · 1 · Just now Unlike · Reply · 1 · Just now