तुलसी हाय गरीब की
मे तो दबा रहा
पर झंडा मेरा ऊंचा रहा
शायद में इस वजन को सेह पाऊं
पर दूसरों के बलिदान पर शोक ना जताऊँ।
अपनी अपनी सोच है
लोनों को किस चीज़ की खोज है?
इतने साल तो हमने सहन कर लिया
गरीबी की मार ने हमारा सबकुछ हर लिया।
कई लोग हमारा हमदर्द होने का दावा करते है
सर्वोच्च सदन को चलने नहीं देते है
हर चीज़ मे अड़ंगा डाल के पैसे का व्यय कर रहे है
हमारा नाम लेकर हमारी ही रोटी छीन रहें है।
इतने साल हमें दबाया गया
हमें गरीबी और जात पात के झंझट में उलझाया गया
रह गए हम सब तिरवसकार के झंगल में
पूरा देश बन गया कुश्ती के दंगल में।
शुर में ही किसी चीज़ का गला मत घोंटो
अपनी जवाबदेही को पूरी तरह से बांटो
आप अपने फ़र्ज़ को युही भुला नही सकते
जो कहा है वो करके तो दिखाते?
किसी के बलिदान को व्यर्थ मत जाने दो
थोड़ा सह लिया है थोड़ा ओर सहने दो
सुबह की किरण कुछ और रौशनी लाएगी
हमारी परेशानी का अंत जरूर लाएगी।
'तुलसी हाय गरीब की'जलाकर राख कर देगी
किसी को चेन से सोने नहीं देगी
सब कुछ मन के मुताबिक नहीं होगा
आने वाला कल सुखदायक कम हीं होगा।
Pic: - tripti sharmaa
Tripti Sharma · Friends with Hans Peripherals Wahhhh..... today by
x welcoem tripti sharmaa Unlike · Reply · 1 · Just now today by
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welcoem aasha sharma Unlike · Reply · 1 · Just now