तुम्ही मेरे श्याम Tumhi Mere Poem by Mehta Hasmukh Amathaal

तुम्ही मेरे श्याम Tumhi Mere

तुम्ही मेरे श्याम


तुम्ही दिखत मेरे श्याम
चाहे सुबह हो या शाम
मेरी अंखिया तरसे प्रभु
बस एक ही माला में जपु।

नयन मंदिर सुनासुना
ना बांसुरी वादन ना गाना
मेरे कान सुन्न और जिह्वा विह्वल
चेहरे पे है शिकंज और माथे पर बल।

जब भोर भये और नींद खुल जाये
बस मन में एक ही रट लगाए
कब मानस पटल पर आप दीख जाओ?
मनपर छायी मुर्दनी को त्वरित भगाओ।

पलका ना बंध होवत
दिखाऐ ना कोई कोवत
दिल में लगी एक ही रट
अब ना करो देर और दर्शन दो घूंघट।

आप ही चंदन
आप ही नंदन
सुख गए मोरे नयन
बसेरा कहाँ करूँ माधवन?

ये मधुवन में गुंजन नहीं
भ्रमर की आवन जावन नहीं
हिरनी भी गायब मयूर का नहीं शोर
में आँखे गडाऊं बताओ देखु कीस कीस कोर।

तुम्ही मेरे श्याम  Tumhi Mere
Friday, December 23, 2016
Topic(s) of this poem: poem
COMMENTS OF THE POEM
Mehta Hasmukh Amathalal 23 December 2016

DrNavin Kumar Upadhyay Very nice, Thanksmy dear Unlike · Reply · 1 · 23 mins

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 December 2016

welcome Close DrNavin Kumar Upadhyay Unlike · Reply · 1 · Unlike · Reply · 1 · Just now

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Mehta Hasmukh Amathalal 23 December 2016

ये मधुवन में गुंजन नहीं भ्रमर की आवन जावन नहीं हिरनी भी गायब मयूर का नहीं शोर में आँखे गडाऊं बताओ देखु कीस कीस कोर।

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Mehta Hasmukh Amathaal

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Vadali, Dist: - sabarkantha, Gujarat, India
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