उम्मीद से
शुक्रवार, १७ अगस्त २०१८
करीबी रिश्ता है हमारा
क्योंकी क हिन्दोस्ता है हमारा
दिल से चाहा है हर इंसान को
नहीं हमने स्विकारा शैतान को।
हर उम्मीद पे खरा उतरना है
सब को अपना बनाना है
एक दूसरे की मदद करना है
एक दूसरे की जीवनशैली को समझना है।
कह गए सब संत और फ़क़ीर
ना खींचो कोई भेदभाव की लकीर
जो लिखा है तक़दीर
नहीं मार सकता उसे कोई मीर।
अमीरी, गरीबी तो भाग्या है खेल
मन मानता है तो बनालो लो मेल
बिगड़ी तो वो ही बनाता है
फिर हमको चिंता का कारण क्यों सताता है?
यदि आप किसी के जीने का झरिया हो
तो आपको उसकी उम्मीदों से खरा उतरना है
उसने आपमें कुछ ऐसा देखा है
जो उसकी उम्मीदों को पनपने देता है।
उम्मीद से ही जीता है इंसान
कहलाता है बड़ा भाग्यवान
मानो उसको ईश्वरीय देन
जिसने आपको दिया है तन और मन का चैन।
Hasmukh amathalal mehta
उम्मीद से ही जीता है इंसान कहलाता है बड़ा भाग्यवान मानो उसको ईश्वरीय देन जिसने आपको दिया है तन और मन का चैन। Hasmukh amathalal mehta
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Date & Time: 8/11/2020 7: 32: 00 AM Remove this comment Poem: 58952061 - उम्मीद तो है Member: Aarzoo Mehek Comment: Umeed pe duniya qayam hai, ye na hota to insaan ka jeevan ik andhkar main chip jaata. Bohot achi achi kavita Hasmukh jii.1