'उपहार अनमोल है '
मैंने कभी उफ़ नहीं कहा
बस उसी के ख्याल मैं डूबा रहा
वो मुझे खींचती रही होले होले
मुझे लगा जैसे मन मेरा डोले डोले।
पुरे शबाब पर है उसका चेहरा
मुझे नहीं लगा कोई मोहरा
मेरा शैतान मन कर रहा है मनमानी
पर वो भी है दिलेर और अभिमानी।
मेरे पुरा चरित्र उसकी आँखों में समां गया है
चांद की रौशनी और दिये की शमा बन गया है
में पूरा समंदर उसकी आँखों में देख रहा हूँ
उसकी गहराई और खारापन जैसे अधीराई से चख रहा हूँ।
मुझे नहीं पता ये दीवानगी कहाँ तक सच है
फिर भी ये आवारगी का मोह कुछ कुछ है
वो मुझे पूरा मोहमग्न कर मनमानी कर रही है
मै भी आशावादी हूँ लेकिन वो हमेशा हावी रही है।
उसकी कदमपोशी करना ही बस एक विकल्प है
'उसको मन की रानी बनाना' ही एक संकल्प है
वो ना जाने क्यों हमें तड़पाकर ललचा रहे है?
हम भी तो मनोमन एक लालसा राखे हुए है
जीवन मे मोहभंग होना दुर्भाग्य की निशानी है
मांगा हुआ मिल जाय तो फिर अंतिम वीरानी है
सौभाग्य इतना है की 'संसार बेनमून है '
किसी का मिल जाना 'उपहार अनमोल है '
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